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उन सभी चिरागों को

आज हमने बुझा दिए हैं उन सभी चिरागों को
जिसमें हमने देखा था इस दुनिया की राहों को

अगर कहीं तुम मिल जाओगे, कर देंगे तुमको अर्पण
तेरे खातिर ही रखते हैं पलकों में कुछ अश्कों को

मेरी तन्हाई में कितनी रंजिश है तू क्या जाने
जबसे तुमसे इश्क हुआ है, कैसे निबाहूं रिश्तों को

तेरे रिवाजों में लिखा है आगे बढ़के न कहना
दीवाने भी कह न सकेंगे अपने दिल के सजदों को

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