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छू गई वो चांदनी काली घटा में छुप गई

छू गई वो चांदनी काली घटा में छुप गई
इश्क की शमा जलाकर वो शहर में खो गई
हर अंधेरे में उजाला आस बनकर रहता है
तेरे आने की हर आहट जुगनू बनकर बुझ गई
जी नहीं लगता आशियां में तेरे बिन शाम ढले
रातों के इन रहगुजरों पे जिंदगी तन्हा रह गई
आईना दिल की दास्तां को रोज ही दुहराता है
एक कयामत संवर के उसमें, उसका दिल तोड़ गई

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