गुजर जाए, गुजर जाए, ये सूनी रात गुजर जाए
बड़ी मुद्दत से तन्हा हूं, कभी हालात सुधर जाए
दुआ में जान बाकी है, तभी तो हाथ उठते हैं
मगर शायद ही उनके रू-ब-रू दो लफ्ज निकल पाए
गजल के फूल खिलते हैं अचानक मेरी आंखों से
न जाने किस घड़ी माहौल में खुशबू बिखड़ जाए
अभी आखिर में जाने तेरे दिल का रास्ता क्या हो
हमारी राह बस तू है, तू जो चाहे जिधर जाए
