ये नजर-नजर की बात है कि किसे क्या तलाश है
तू हंसने को बेताब है, मुझे रोने की ही प्यास है
तुम फूल देखते हो जब, रख लेते हो उसे तोड़कर
मेरे लिए हर फूल इस कुदरत का हसीं ख्वाब है
तुम चाहते हो लोग तुम्हें देखें और तारीफ करें
हम सोचते हैं दुनिया में वो करते झूठी बात हैं
इन चांद-तारों में है क्या, इन हसीं नजारों में है क्या
उन्हें क्या पता जिनके नजर पर दौलत के नकाब हैं
तू हंसने को बेताब है, मुझे रोने की ही प्यास है
तुम फूल देखते हो जब, रख लेते हो उसे तोड़कर
मेरे लिए हर फूल इस कुदरत का हसीं ख्वाब है
तुम चाहते हो लोग तुम्हें देखें और तारीफ करें
हम सोचते हैं दुनिया में वो करते झूठी बात हैं
इन चांद-तारों में है क्या, इन हसीं नजारों में है क्या
उन्हें क्या पता जिनके नजर पर दौलत के नकाब हैं