चांदनी उस रोज मौत के दर्द से तड़प रही थी और
चांद ने अपने बदन को कुरेद लिया ..
फिर वो चली गई और चांद ने खुद को अन्धकार मे छुपाए रखा ..
तबतक जबतक उसका जन्म फिर से नही हुआ ..
चांद के बदन वाले दाग अबतक ना जा सके !
छत .. चटाई .. अकेलापन और बड़बड़ाहट ....!!