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तेरी ख़ुशरंग उदासी में



तेरी ख़ुशरंग उदासी में जो सन्नाटा है
मैं उसको अपने कहकहों से आ गुलज़ार करूँ
तेरी ये शर्त कि बस एक बार मिलना हो
मेरी ये जि़द है कि बस एक बार प्यार करूँ
इश्क़ मैंने किया पाक़ीज़ा इबादत की तरह
और दुनिया ने मुझे समझा तिजारत की तरह
मेरे अन्दर हूँ, मैं दुनिया से यूँ महफ़ूज़ मगर
शोहरतें राह में लटकीं इबारत की तरह

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