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रस्मे-दुनिया को निभाने का हक सबको है

रस्मे-दुनिया को निभाने का हक सबको है
इस मुहब्बत को मिटाने का हक सबको है

हंसी मिलती है दौलत के कागजी फूलों से
वहां भी आंखों में कांटों की झलक सबको है

दिल बहलाते हैं वो दर्द भरे नगमों से
किसी को भूल न पाने की कसक सबको है

सात फेरे लेते हैं जो बड़े अरमानों से
उनमें एक-दूजे की वफादारी पे शक सबको है

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