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ढूँढकर पाएंगे क्या हम दुनिया के घर-बार में

ढूँढकर पाएंगे क्या हम दुनिया के घर-बार में
क्या मिलेगा दिल को इस दौलत के बाजार में

बस पूछते हैं सब यही काम क्या करता हूं मैं
कहता हूं दिल पे हाथ रख, मैं हूं इसके बेगार में

मुंह मोड़ गए थे तुम मेरी मायूस सूरत देखकर
तूने भी ये देखा नहीं कि क्या है दिले-बीमार में

तन्हाईयों की रात में हम सो नहीं पाए कभी
बस छत पे टहलते रहे सोए हुए संसार में

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