मुहब्बत आप क्या जाने, शराफत आप क्या जाने
अरे दुनिया के सौदाई, ये उल्फत आप क्या जाने
दिलों में जल रहे शोले, निगाहों से गिरे झरने
कभी महसूस न हो तो ये कुदरत आप क्या जाने
जिन्हें महबूब की सूरत से बेहतर कुछ नहीं दिखता
दीवानों का ये पागलपन, ये फितरत आप क्या जाने
न दौलत है न जागीरें, न रहने का ठिकाना है
फकीरों की तरह जीने की कीमत आप क्या जाने
अरे दुनिया के सौदाई, ये उल्फत आप क्या जाने
दिलों में जल रहे शोले, निगाहों से गिरे झरने
कभी महसूस न हो तो ये कुदरत आप क्या जाने
जिन्हें महबूब की सूरत से बेहतर कुछ नहीं दिखता
दीवानों का ये पागलपन, ये फितरत आप क्या जाने
न दौलत है न जागीरें, न रहने का ठिकाना है
फकीरों की तरह जीने की कीमत आप क्या जाने