मेरी तन्हाई मिटाने वाला कोई नहीं
अब मेरा साथ निभाने वाला कोई नहीं
इतना सन्नाटा पसरा है इस जंगल में
एक पत्ता भी हिलाने वाला कोई नहीं
ये बदन है बेसहारा आंचल की तरह
इसको सीने से लगाने वाला कोई नहीं
दो घड़ी में ही ये रात गुजर जाएगी
हुस्न का दीप जलाने वाला कोई नहीं
अब मेरा साथ निभाने वाला कोई नहीं
इतना सन्नाटा पसरा है इस जंगल में
एक पत्ता भी हिलाने वाला कोई नहीं
ये बदन है बेसहारा आंचल की तरह
इसको सीने से लगाने वाला कोई नहीं
दो घड़ी में ही ये रात गुजर जाएगी
हुस्न का दीप जलाने वाला कोई नहीं