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मैं दर्द की सदा लिखूं

कौन से लफ्ज़ में मैं दर्द की सदा लिखूं
किस तरह मैं अपने ही दिल को बेवफा लिखूं

इन अंधेरों की खामोशी में है रूह मेरी

और उजालों में दिखे जिस्म को जनाजा लिखूं

साज के रोते हुए सुर मुझे कुछ कहते हैं

इन सुरों को मैं किसी नज्म का आईना लिखूं

सात रंगों को लिखता हूं मैं इंद्रधनुष

सैकड़ों जख्म की रंगत को आशना लिखूं

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