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दिल का कोई आशियां

दुनिया में न बना सके दिल का कोई आशियां
चिड़ियों सा ढूंढते रहे तिनके यहां-वहां

खाली पैर गरीब का घायल न हो जाए कहीं
यारों हटा दो राहों से शीशे पड़े हैं जहां

गम का असर कुछ यूं पड़ा मेरी निगाहों पे
जैसे कि गीली होती है बरसात में मिट्टियां

घटती गई हर साल में मिलने की दो घड़ी
हम-तुम बड़े हो चले, बच्चों से दिन अब कहां

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