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तो तूने क्या बुरा किया

मुझे दिल से जो भुला दिया, तो तूने क्या बुरा किया
कांटे का दामन छोड़ कर, जो भी किया अच्छा किया

आवारगी की राह पे चलके मुझे मंजिल मिली
जिसने मुझे बेघर किया उसने भी कुछ भला किया

जिनके घरों में आंसू थे वहीं पे मुझे पानी मिला
इस शहर में मेरी प्यास ने कुछ ऐसा तज़रबा किया

ऐ दिल बता तुझे क्या मिला मेरा दाग से खेलकर
तूने दर्द से सौदा किया, अपनी गजल बेचा किया

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