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तेरे विरह से जब रोती हैं आँखे

तेरे तसव्वुर से जब रोशन होती हैं आँखे 
दूर होती है मुझसे और करतीं हैं तुझसे बातें....
तेरे चहरे को जब देखती हैं आँखे
स्मित मुस्कान लिए चमकती है आँखे....
तेरे विरह से जब रोती हैं आँखे
खुलती- बंद होती तड़पती मेरी आंखे....
तेरे सरुर से जब व्याकुल होती हैं आँखे
मिलने को तुझसे बरसती हैं आँखे....
तेरे अधरों को जब तकती हैं आँखे
पुलकित हो मन ही मन नाचती है आँखे....
तेरी आँखों से जब करतीं हैं बाते,, मेरी आँखे..
सलज्ज तेरे पलकों के भीतर सिमटती हैं मेरी आँखें

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