ऑजिक्या आज भी रोज की तरह स्कुल के सामने वाले दुकान पर खडे हो कर वर्तिका के बाहर आने का इंतजार कर रहा था!यु तो वर्तिका ऑजिक्या को जानती भी नही थी लेकिन ऑजिक्या के इतना पीछा करने पर वो ये तो समझ चुकी थी कोई लडका उसके लिए भी पागल है!
ऑजिक्या दुसरे स्कुल मे पढता था लेकिन अपने क्लास का एक लेक्चर छोड के वर्तिका को देखने उसके स्कुल के बाहर जरुर पहूच जाता!
एक साल के इस हरकत के बाद ऑजिक्या ने आखिरकार वर्तिका से बात करने का जुगाड कर ही लिया,हुआ कुछ यु कि ऑजिक्या के दोस्त की बहन वर्तिका की दोस्त थी,काफी कुछ जुगाड करने के बाद उसके दोस्त ने अपने बहन को मना लिया!
उस दिन भी ऑजिक्या दुकान के बाहर ही खडा था,वर्तिका आयी लेकिन दोनो मे सिर्फ "hello" ही हो पाया!
ऑजिक्या लाख कोशिशो के बाद भी वर्तिका से कुछ और कह ना सका!
प्रेम जब उच्च स्तर पर हो तो शब्द नही मिलते लेकिन हर वक्त की खामोशी भी तो ठीक नही!
ऑजिक्या ने एक अच्छा मौका हाथ से जाने दिया वर्तिका से दोस्ती करने का लेकिन ऑजिक्या ने फिर भी कभी हार नही मानी!
वर्तिका के स्कुल से ले कर घर तक जाने वाले सारे रास्तो पर ऑजिक्या की दो ऑखे हमेशा उसका पीछा करती!
कभी-कभी वर्तिका जब साइकिल से पिछे मुड कर देखती तो ऑजिक्या दुसरे तरफ देखने लग जाता!
स्कुल का समय कब गुजर गया दोनो को पता ही नही चला! स्कुल के बाद परिवार वालो ने ऑजिक्या को पढने के लिए उसके बुआ के घर भेज दिया! वर्तिका ने भी शहर के किसी बडे कॉलेज मे दाखिला ले ली!
वक्त गुजरते गया लेकिन इन वक्त गुजरने के साथ जो एक चीज आज भी रुका हूआ था वो था ऑजिक्या के दिल मे वर्तिका का प्यार!
ऑजिक्या रोज वर्तिका को याद करता लेकिन सोचता ना जाने कहॉ होगी वो,पता नही उसके दिल मे भी वो सब है जो मेरे दिल मे आज भी जिंदा है!
कुछ सालो बाद ऑजिक्या रेलवे मे स्टेशन मास्टर बन गया,उसकी पहली पोस्टिग दुर शहर से किसी छोटे से स्टेशन रामपुर मे हूआ!
ऑजिक्या सामान लिए तय वक्त पर स्टेशन पहूच चुका था,ऑफिस मे पहुचा तो एक अधेड उम्र के चाचा जी मिल गये जो स्टेशन मास्टर के इंतजार मे बैठै थे,चाचा ने जैसै ही ऑजिक्या को देखा,ऑजिक्या के सामान को उठा कर उसके कमरे मे पहुचा दिया!
ऑजिक्या:-"चाचा मै सफर से काफी थक चुका हु,आराम करना चाहता हू"
चाचा:-"बेटे जी,रात के 12 बजे की ऑखरी ट्रेन है,आप नहा कर जल्दी से आ जाओ ,उसके बाद आराम करना"
ऑजिक्या की आराम वाले उम्मीदो पर पानी फिर चुका था!ऑजिक्या वापस कमरे मे जा कर तैयार हो कर स्टेशन पहूच गया! चाचा कुछ सामान लेने बाहर चले गये थे,रात के 11:30 बज चुके थे,पुरे प्लेटफार्म पर सन्नाटा था,ऑजिक्या ने पुरे स्टेशन पर नजर दौडाई तो लगा वाकई मे स्टेशन बहूत छोटा था!
समय गुजारने के लिए ऑजिक्या ने पास ही पडे अखबार को उठा लिया और पढने लगा!
तकरीबन ऑधे घंटे बाद ट्रेन हार्न देती हुए स्टेशन पर पहूची,दो चार मुसाफिर उतरे और फिर कुछ देर बाद अपने-अपने मंजिलो की तरफ चल पडे लेकिन एक लडकी पास के ही बेंच पर बैठ गयी!कुछ देर ऑजिक्या यु ही बैठै-बैठै लडकी को देख रहा था कि रात के इस वक्त वो किसका इंतजार कर रही है लेकिन आधे घंटे के बाद भी जब कोई नही आया तो ऑजिक्या लडकी से पुछताछ करने उसकी तरफ बढ गया!
हल्का रोशनी उसके चेहरे कि गोरेपन को और दुधीया बना रहा था!
ऑजिक्या जैसै ही थोडा करीब पहुचा,हैरान हो गया वो लडकी वर्तिका थी!
ऑजिक्या के मन मे तमाम सवाल कौंधने लगे,वो यहा,क्यु,कैसै? क्या मुझे पहचान पायेगी!
ऑजिक्या की धडकने तेज हो चली थी फिर भी वो कुछ सोच कर वर्तिका की तरफ बढा !
ऑजिक्या:-"टिकट दिखाइए मैडम"
वर्तिका ने टिकट पॉकेट से निकाल कर ऑजिक्या की तरफ बढा दिया,ऑजिक्या की नजरे बस वर्तिका पर टिकी थी,आज सालो बाद वो उसके सामने थी,वक्त ने उसे पहले से और भी ज्यादा खुबसुरत बना दिया था!
ऑजिक्या:-"आप वर्तिका है ना "
वर्तिका हैरानी से ऑजिक्या की तरफ देखते हुए बोली
"जी लेकिन आपको मेरा नाम कैसै पता है"
ऑजिक्या ने कहा:-"जी मै ऑजिक्या, याद है हम स्कुल के बाहर मिले थे, मै आपका पीछा करता था"
वर्तिका कुछ दिमाग पर जोर लगा कर याद कि तो सालो पुरानी बाते जो वक्त के साथ धुल गया था याद आ गया!
वर्तिका:-"हॉ,या द आया,आपको कैसै भुल सकती हू मिस्टर,इतना पीछा जो करते थे, लेकिन आप यहॉ क्या कर रहे है? "
ऑजिक्या:-"जी,मै यहा का नया स्टेशन मास्टर हू"
वर्तिका:-"बधाई हो,वर्ना मुझे लगा था आप मेरा पीछा करने के अलावा कुछ नही कर पाओगे"
दोनो हँसने लगते है!
ऑजिक्या:-"लेकिन आप यहा कैसै,किसका इंतजार कर रही है "
वर्तिका:-"अपने होने वाले पति का,हमारी लव मैरैज हो रही है, शहर के ही कॉलेज मे ही पढते है वो,पुरा कॉलेज उनका दिवाना है!singer और dancer दोनो है"
ये सुनते ही ऑजिक्या की धडकने कुछ पल के लिए रुक गयी!वक्त ने मिलाया भी तो इस मोड पर,क्या उसके किस्मत मे प्यार है ही नही,ऑजिक्या के दिमाग मे ना जाने कितने सवाल गुजने लगे!
ऑजिक्या ने खुद को संभाला,वो वर्तिका को खोना नही चाहता था किसी भी किमत पर,वैसै भी प्यार और जंग मे सबकुछ जायज जो है!
ऑजिक्या:-"वर्ति का मै आपसे बहूत ज्यादा प्यार करता हू,मै एक पल के लिए भी इतने सालो मे आपको नही भुला हू,मै आपको उससे ज्यादा खुश रखुगा!वैसै भी ये dancer और singer पर भरोसा नही करना चाहिये इनकी ना जाने कितने लडकियो के साथ चक्कर होते है,ये शरीफ नही होते है "
वर्तिका:-"अच्छा ,तो लडकियो को पीछा करने वाले आप शरीफ है"
(वर्तिका थोडा चीढती और गुस्से मे बोली)
ऑजिक्या:-"नही,व र्तिका वो मै सिर्फ आपका पीछा करता था क्युकि मै सिर्फ आपसे प्यार करता हू किसी और से नही, मै आपके लिए कुछ भी कर सकता हू,मै वादा करता हू आपके जिंदगी खुशीयो से भर दुगा, आपको कभी भी शिकायत का मौंका नही दुगा"
वर्तिका ने गुस्से मे कहा:-"अच्छा तो कुछ भी कर सकते हो मेरे लिए "
ऑजिक्या: "हा,कुछ भी कर सकता हू"
वर्तिका बोली: "तो जाओ पटरी से कट कर अपनी जान दे दो ऑजिक्या"
ऑजिक्या ये सुनकर सकपका गया!
ऑजिक्या:-"वर्ति का मै जान देने के लिए तैयार हू,लेकिन मै आपके साथ उम्र गुजारना चाहता हू, मरने से मुश्किल उम्रभर साथ निभाना होता है, मै आपको ढेर सारा प्यार देना चाहता,प्लीज मेरी जिंदगी के इस अंधेरी रात मे अपनी रोशनी बिखेर दो"
वर्तिका थोडा संभल कर बोली:-"लेकिन ऑजिक्या मेरे साथ रहने के लिए आपको मरना ही होगा "
ऑजिक्या:-"लेकिन क्यु वर्तिका,क्यु? "
(ऑजिक्या के नजरो मे हैरानी थी और चेहरे पर बैचनी)
वर्तिका:-"क्युक ि मै मर चुकी हू,ऑजिक्या,आपके हाथ मे जो टिकट है वो तीन दिन पुराना है"
ऑजिक्या चौंकते हुए पहली बार टिकट की तारीख पर नजर घुमाया,टिकट पर तीन दिन पुराना तारीख लिखा था!
*12-2-2017*
वर्तिका:-"ऑजिक् या आपने सही कहा, इन singer और dancer लडको का कोई भरोसा नही! उसने शादी का वादा किया था, घरवाले नही माने,तो हमने भाग कर शादी करने का फैसला किया! वो इसी स्टेशन पर मिलने आने वाला था लेकिन वो नही आया,मै क्या करती ऑजिक्या ना मै वापस घर लौंट सकती थी,ना मुझमे फिर से दुसरी जिंदगी जीने की हिम्मत थी,बेबस हो कर मैने इसी पटरी के आगे कट कर अपनी जान दे दी"
इससे पहले ऑजिक्या कुछ कहता,वर्तिका गायब हो चुकी थी!
तभी पिछे से चाचा कि आवाज आयी!
चाचा:-"चलो बाबूजी,खाना तैयार है"
ऑजिक्या ने हताश हो कर चाचा से कहा:-"चाचा वो लडकी कहा गयी जो तीन दिन पहले मर चुकी है "
चाचा ने ऑजिक्या के हाथ मे तीन दिन पुराना अखबार दे कर बोले:-
चाचा:-"बेटा आप जो अखबार पढ रहे हो वो तीन दिन पुराना है,बहूत बुरा हश्र था उसके शरीर का "
ऑजिक्या ने अखबार पर एक नजर घुमाया तो लिखा था!
रामपुर स्टेशन पर एक लडकी ने की खुदखुशी !
बस इतनी सी थी कहानी...........

