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धीमे और सधे हुए कदमों के


धीमे और सधे हुए कदमों के साथ मैं उस संकरे पहाड़ी रास्ते पर उतरता जा रहा था ..!
लगातार हो रही हल्की रिमझिम ने मौसम को एक नमी देकर मेरी आंखों की नमी को भी बढ़ा दिया था .. बादल अब उतने घने नही रहे थे और तारे बादलों के मोटे परदे को हटाकर उसके पीछे से झांकने लगे थे !
मैं लगातार नीचे की ओर बढ़ता जा रहा था मगर मेरी नजर बादलों के बीच से झांकते उस अकेले तारे पर थी जो मुझे बिलकुल अपना सा लग रहा था ... अपना सा कहना शायद ठीक ना हो ... वो तारा .. वो तारा मुझे किसी आइने मे दिखते अपने प्रतिबिम्ब सा ही लग रहा था ... आसमान मे अनगिनत तारे होते हुए भी जो बिलकुल अकेला था .. सबसे अलग !
लेकिन क्यों ... ?
ये तो मुझे भी समझ नही आया .. 
समझ नही आया ... ?
या फिर मैं समझना ही नही चाहता था ... ?
मैने बिना कुछ जाने बिना कुछ पूछे ही उसे अपना प्रतिबिम्ब मान लिया था और उसे खुद से जोड़ लिया था !
वो हमेशा से तो ऐसा नही रहा होगा ?
फिर ?
उसे भी शायद कोई छोड़कर गया होगा ... हां ! दुनिया से अलग करने के बाद ... अपना ... सिर्फ अपना बनाकर ... छोड़ दिया होगा उसे भी किसी ने अकेला ... बिलकुल अकेला ... तड़पने के लिए !
ऐसी जगह .. जहां उसका कोई अपना ना हो ... जहां उसे कोई समझता ना हो ... कोई उसे सहारा देने को तैयार ना हो ... और वो ...
वो चाह कर भी किसी को समझ ना पाता हो .. किसी को सहारा ना दे सकता हो !
इश्क करने वाले ना चाहकर भी गुनहगार होते हैं ... सजा पाते हैं !
मैं भी पा रहा हूं ... और खुश हूं ... क्योंकि इश्क इनसान की फितरत है .. लेकिन तुम ... ?
तुम .. ऐ तारे ....
तुम किसलिए ....?
तुम्हारी फितरत हो इश्क नही ...?
फिर ... ?
आह्ह ! 
टूट गया हूं मैं ... तुम भी टूट जाओगे .. लेकिन मैं .. मैं कितना भी बुरा हूं .. जब टूटूंगा तो कई आंखों मे नमी होगी .. कई दिलों मे सीलन होगी ... कई घरों मे उसदिन रोटी ना बनेगी .. और बनेगी तो भी कई ऐसे लोग होंगे जिनके गले से जबरन भी एक निवाला तक ना उतरेगा .. और तुम .. तुम टूटोगे भी तो कई आंखों मे चमक आएगी .. कई दिल तुम्हे टूटता देखकर तुमसे दुआएं मांगेंगे .. मगर अफसोस ....
अफसोस कोई नही करेगा !
फिर क्यों ?
आखिर क्यों ...?
यही सब सोचता मैं ना जाने कब से यूं ही नीचे उतरता जा रहा था कि पैर मे एक पत्थर की ठोकर लगी और मैं आसमान , बादलों और तारे को छोड़कर लड़खड़ाता हुआ दुबारा उस सुनसान पतले रास्ते पर आ गया .. !
जेब से ईयरफोन निकालकर लगाया और प्लेलिस्ट का पहला गाना प्ले किया ...
कभी गम से दिल लगाया ,
कभी अश्क के सहारे ,
कभी शब गुजारी रो के ,
कभी गिन के चांद तारे !
गाना .. 
गाना भी तो मुझे मेरी और उस तारे की ही कहानी बता रहा था ...
हां ! वही कहानी जो कहीं किसी प्रेमग्रंथ मे लिखी नही गई थी ...
वो कहानी जो कभी किसी की जुबान पर नही महकेगी ...
वो कहानी जो ...

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